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Friday, October 22, 2021

                                                        CA (current affairs) daily update    Article: The hindu paper

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान: FATF की ग्रे लिस्ट में बरकरार

     Star marking (1-5) indicates the importance of topic for CSE
  • 22 Oct 2021
  •  
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये 

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, एशिया पैसिफिक ग्रुप

मेन्स के लिये 

पाकिस्तान के लिये FATF की ग्रे लिस्ट में बरकरार रहने के निहितार्थ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) ने पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' या ‘इन्क्रीज्ड मॉनिटरिंग लिस्ट’ में बनाए रखा है।

  • FATF ने जॉर्डन, माली और तुर्की को भी 'ग्रे लिस्ट’ में शामिल करने की घोषणा की है।
  • बोत्सवाना और मॉरीशस को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया था।

Marcus-Player

प्रमुख बिंदु

  • वैश्विक FATF मानकों को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रहने और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ नेताओं और कमांडरों की जाँच एवं अभियोजन पर प्रगति की कमी के कारण पाकिस्तान को इस लिस्ट में बरकरार रखा गया है।
  • पाकिस्तान तब तक ग्रे लिस्ट में रहेगा जब तक कि वह जून 2018 में सहमत मूल कार्य योजना में शामिल सभी मदों के साथ-साथ FATF के क्षेत्रीय साझेदार- ‘एशिया पैसिफिक ग्रुप’ (APG) द्वारा वर्ष 2019 में सौंपे गए समानांतर कार्य योजना में शामिल सभी मदों को सही ढंग से संबोधित नहीं करता है। .
    • पाकिस्तान सरकार की दो समवर्ती कार्य योजनाएँ हैं, जिसमें कुल 34 मद शामिल हैं। 
    • पाकिस्तान ने इस दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है और उसने जून 2018 में सहमत मूल कार्य योजना के 27 में से 26 मदों को संबोधित किया है। वित्तीय आतंकवाद से संबंधित मद को अभी भी संबोधित किया जाना शेष है।
    • वर्ष 2019 की कार्य योजना मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की कमियों पर केंद्रित थी।
  • FATF ने सलाह दी थी कि पाकिस्तान को अपनी छह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिये काम करना जारी रखना चाहिये, जिसमें मनी-लॉन्ड्रिंग कानून में संशोधन करके अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना और यह प्रदर्शित करना शामिल है कि ‘UNSCR 1373’ संकल्प को सही ढंग से लागू किया जा रहा है।
    • UNSC संकल्प 1373 को 28 सितंबर 2001 को अपनाया गया था। यह अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये खतरे के रूप में घोषित करता है और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों पर बाध्यकारी दायित्व लागू करता है।
  • पृष्ठभूमि:
    • FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को ’ग्रे सूची’ में रखने के बाद 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना जारी की थी। यह कार्रवाई योजना धन शोधन और आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने से संबंधित है।
    • पाकिस्तान को पहली बार वर्ष 2008 में सूची में रखा गया था, वर्ष 2009 में इसे सूची से हटा दिया गया था और फिर वर्ष 2012 से 2015 तक बढ़ी हुई निगरानी में रहा।
    • पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में शामिल होने से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोषविश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे वैश्विक निकायों से उसे वित्तीय सहायता प्राप्त करने की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force-FATF)

  • संदर्भ:
    • FATF, वर्ष 1989 में पेरिस में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान स्थापित एक अंतर-सरकारी निकाय है।
    • यह किसी देश के धन-शोधन-विरोधी और आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण ढाँचे की ताकत का आकलन करता है, हालाँकि यह व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिये मानक निर्धारित करना तथा कानूनी, नियामक एवं परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
  • मुख्यालय:
  • सदस्य देश:
  • FATF की सूचियाँ:
    • ग्रे लिस्ट: 
      • जिन देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिये सुरक्षित स्थल माना जाता है, उन्हें FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है।
      • इस सूची में शामिल किया जाना संबंधित देश के लिये एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया सकता है।
    • ब्लैक लिस्ट: 
      • असहयोगी देशों या क्षेत्रों (Non-Cooperative Countries or Territories- NCCTs) के रूप में जाने जाने वाले देशों को ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जाता है। ये देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का समर्थन करते हैं।
      • इस सूची में देशों को शामिल करने अथवा हटाने के लिये FATF इसे नियमित रूप से संशोधित करता है।
      • वर्तमान में, ईरान और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) को उच्च जोखिम वाले क्षेत्राधिकार या ब्लैक लिस्ट में हैं।
  • सत्र:
    • FATF प्लेनरी, FATF का निर्णय लेने वाला निकाय है। इसके सत्रों का आयोजन प्रति वर्ष तीन बार होता है।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय राजनीति      THE INDIAN EXPRESS PAPER K

विरोध का अधिकार      

     Star marking (1-5) indicates the importance of topic for CSE
  • 22 Oct 2021
  •  
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

विरोध का अधिकार, अनुच्छेद 19

मेन्स के लिये:  

विरोध का अधिकार- संबंधित प्रावधान तथा इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों (नागरिकों के आवागमन के अधिकार में बाधा) को अनिश्चित काल के लिये अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • विरोध का अधिकार:
    • हालाँकि विरोध का अधिकार मौलिक अधिकारों के तहत एक स्पष्ट अधिकार नहीं है, इसे अनुच्छेद 19 के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत  शामिल किया जा सकता है।
      • अनुच्छेद 19(1)(a): अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सरकार के आचरण पर स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार देता है।
      • अनुच्छेद 19(1)(b): राजनीतिक उद्देश्यों के लिये संघ बनाने के लिये संघ (Association) के अधिकार की आवश्यकता होती है।
        • इनका गठन सरकार के निर्णयों को सामूहिक रूप से चुनौती देने के लिये किया जा सकता है।
      • अनुच्छेद 19(1)(c) : शांतिपूर्ण ढंग से एकत्रित होने का अधिकार लोगों को प्रदर्शनों, आंदोलनों और सार्वजनिक सभाओं द्वारा सरकार के कार्यों पर सवाल उठाने तथा आपत्ति जताने व निरंतर विरोध आंदोलन शुरू करने की अनुमति देता है।
      • ये अधिकार प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्वक ढंग से एकत्रित होने और राज्य की कार्रवाई या निष्क्रियता का विरोध करने में सक्षम बनाते हैं।
    • विरोध का अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि लोग सजगता/निगारानी पूर्ण ढंग से कार्य कर सकें और सरकारों के कृत्यों की लगातार निगरानी कर सकें।
      • यह सरकारों को उनकी नीतियों और कार्यों के बारे में प्रतिक्रिया प्रदान करता है जिसके बाद संबंधित सरकार परामर्श, बैठकों और चर्चा के माध्यम से अपनी गलतियों को पहचानती है और सुधारती है।
  • विरोध के अधिकार पर प्रतिबंध:
    • अनुच्छेद 19(2) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगाता है। ये उचित प्रतिबंध निम्नलिखित आधार पर लगाए गए हैं:
      • भारत की संप्रभुता और अखंडता,
      • राज्य की सुरक्षा,
      • विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध,
      • सार्वजनिक व्यवस्था,
      • शालीनता या नैतिकता
      • न्यायालय की अवमानना,
      • मानहानि
      • किसी अपराध के लिये उकसाना।
    • इसके अलावा, विरोध के दौरान हिंसा का सहारा लेना नागरिकों के एक प्रमुख मौलिक कर्तव्य का उल्लंघन है।
      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A में मौलिक कर्त्तव्यों के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक के लिये "सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने और हिंसा से दूर रहने" का प्रावधान किया गया है।
  • संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय:
    • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2019 में शाहीन बाग विरोध के संबंध में याचिका पर सुनवाई करते हुए कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार को बरकरार रखा, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि अनिश्चित काल के लिये सार्वजनिक रास्तों और सार्वजनिक स्थानों पर कब्ज़ा नहीं किया जा सकता है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने मज़दूर किसान शक्ति संगठन बनाम भारत संघ और एक अन्य मामले में अपने 2018 के फैसले का उल्लेख किया, जो दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शनों से संबंधित था।
      • निर्णय ने स्थानीय निवासियों के हितों को प्रदर्शनकारियों के हितों के साथ संतुलित करने का प्रयास किया और पुलिस को शांतिपूर्ण विरोध एवं प्रदर्शनों हेतु क्षेत्र के सीमित उपयोग के लिये एक उचित व्यवस्था करने तथा इसके लिये मानदंड निर्धारित करने का निर्देश दिया।
    • रामलीला मैदान घटना बनाम गृह सचिव, भारत संघ एवं अन्य मामले (2012) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था, "नागरिकों को एकत्रित होने और शांतिपूर्ण विरोध का मौलिक अधिकार है जिसे एक मनमानी कार्यकारी या विधायी कार्रवाई से नहीं हटाया जा सकता है"।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


जीव विज्ञान और पर्यावरण

भारतीय रेलवे: वर्ष 2030 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जक

     Star marking (1-5) indicates the importance of topic for CSE
  • 22 Oct 2021
  •  
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जक, अक्षय ऊर्जा, ग्रीनहाउस गैस।

मेन्स के लिये:

नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जक बनने की राह पर भारतीय रेलवे- संभावनाएँ, चुनौतियाँ एवं आगे की राह।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रेलवे ने यह संभावना व्यक्त की है कि वह वर्ष 2030 तक विश्व का पहला 'नेट-ज़ीरो' कार्बन उत्सर्जक बन सकता है।

  • इसके लिये भारतीय रेलवे एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपना रहा है जिसमें अक्षय ऊर्जा के स्रोतों में वृद्धि से लेकर अपने ट्रैक्शन नेटवर्क का विद्युतीकृत करना और अपनी ऊर्जा खपत को कम करना शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • भारतीय रेलवे: यह आकार के मामले में विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। यह देश के सबसे बड़े बिजली उपभोक्ताओं में से एक है। 
      • यात्री सेवाएँ: लगभग 67,956 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली 13,000 ट्रेनों के माध्यम से पूरे उपमहाद्वीप में प्रतिदिन 24 मिलियन यात्री यात्रा करते हैं।
      • माल ढुलाई सेवाएँ: प्रति दिन 3.3 मिलियन टन माल ढुलाई का कार्य किया जाता है जिसके लिये बड़े पैमाने पर ईंधन की आवश्यकता होती है।
    • कुल उत्सर्जन में योगदान: भारत का परिवहन क्षेत्र देश के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 12% का योगदान देता है, जिसमें रेलवे की हिस्सेदारी लगभग 4% है।
    • उत्सर्जन में कमी की संभावना: भारतीय रेलवे वर्ष 2030 तक माल ढुलाई के पने आधिकारिक लक्ष्य को वर्तमान 33% से बढ़ाकर 50% तक कर सकता है।
      • माल ढुलाई को रेल में स्थानांतरित करके और ट्रकों के उपयोग को अनुकूल बनाकर, भारत सामान्य व्यापार परिदृश्य की तुलना में वर्ष 2050 तक रसद लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 14% से घटाकर 10% तक कर सकता है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 70% तक कम कर सकता है।
  • भारतीय रेलवे द्वारा की गई पहल:
    • माल ढुलाई की मात्रा में वृद्धि: भारतीय रेलवे ने परिवहन से होने वाले कुल उत्सर्जन को कम करने के लिये अपने द्वारा की जाने वाली माल ढुलाई की मात्रा को वर्ष 2015 के लगभग 35% से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 45% निर्धारित कर दिया है।
    • पूर्ण विद्युतीकरण: भारतीय रेलवे का पूर्ण विद्युतीकरण वित्तीय वर्ष 2024 तक लक्षित है। इसके पश्चात् यह विश्व की सबसे बड़ी 100% विद्युतीकृत वाली रेल परिवहन प्रणाली होगी।
    • सौर ऊर्जा का उपयोग: ट्रैक्शन (कर्षण) भार और गैर-ट्रैक्शन भार दोनों के लिये 20 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा स्थापित करने की योजना है।
      • जुलाई 2020 में मध्य प्रदेश के बीना में एक 1.7 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र का निर्माण किया। यह विश्व का पहला सौर ऊर्जा संयंत्र है जो सीधे रेलवे ओवरहेड लाइनों को बिजली प्रदान करता है, जिससे लोकोमोटिव ट्रैक्शन पावर का संचरण करते हैं।
      • हरियाणा के दीवाना में 2.5 मेगावाट की सौर परियोजना।
      • भिलाई (छत्तीसगढ़) में 50 मेगावाट क्षमता वाली तीसरी पायलट परियोजना पर काम शुरू हो गया है।
      • साहिबाबाद रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म शेल्टर के रूप में 16 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट लगाया गया है।
      • रेल मंत्रालय ने 960 से अधिक स्टेशनों पर सौर पैनल स्थापित किये हैं और रेलवे स्टेशन की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है।
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी: मंत्रालय ने रेलवे भुगतान में चूक की स्थिति में साख पत्र (Letter of Credit) के प्रावधानों को शामिल किया है साथ ही सौर ऊर्जा निर्माताओं के लिये मॉडल नीलामी दस्तावेज़ में देरी से भुगतान के लिये ज़ुर्माने का भी प्रावधान है।
      • इसका उद्देश्य निजी क्षेत्रों को परियोजना में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करना है।
  • चुनौतियाँ:
    • ओपन एक्सेस के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र: पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना में नियामक चुनौतियों के कारण रेलवे के लिये बिजली के प्रवाह हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र (NoC) का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। हालाँकि रेलवे इसे संचालित करने का पूरा प्रयास कर रहा है।
      • अगर इन राज्यों में ओपन एक्सेस के जरिये बिजली खरीदने की मंज़ूरी मिल जाती है तो सौर परिनियोजन (Solar Deployment) में वृद्धि हो सकती है।
    • व्हीलिंग और बैंकिंग प्रावधान: यदि राज्य व्हीलिंग और बैंकिंग व्यवस्था उपलब्ध कराते हैं तो सौर क्षमता की पूर्ण तैनाती अधिक व्यवहार्य हो जाएगी।
    • सोलर खरीद दायित्व और गैर-सोलर  खरीद दायित्व का विलय: सोलर  एवं गैर-सोलर  दायित्वों का समेकन रेलवे को अपने अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्वों को पूरा करने की अनुमति देगा।
    • अप्रतिबंधित नेट मीटरिंग नियम: रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट्स के लिये अप्रतिबंधित नेट मीटरिंग से रेलवे सोलर प्लांट्स की तैनाती में तेज़ी आएगी।

शुद्ध शून्य उत्सर्जन/नेट ज़ीरो उत्सर्जन  (NZE)

  • ‘शुद्ध शून्य उत्सर्जन' का तात्पर्य उत्पादित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वातावरण से निकाले गए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मध्य एक समग्र संतुलन स्थापित करना है।
    • सर्वप्रथम मानवजनित उत्सर्जन (जैसे जीवाश्म-ईंधन वाले वाहनों और कारखानों से) को यथासंभव शून्य के करीब लाया जाना चाहिये।
    • दूसरा, किसी भी शेष GHGs को कार्बन को अवशोषित कर (जैसे- जंगलों की पुनर्स्थापना द्वारा) संतुलित किया जाना चाहिये। 
  • वैश्विक परिदृश्य:
    • जून 2020 तक बीस देशों और क्षेत्रों ने शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को अपनाया है। 
    • भूटान पहले से ही कार्बन नकारात्मक देश है अर्थात् यह CO2  के उत्सर्जन की तुलना में अवशोषण अधिक करता है।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • भारत का प्रति व्यक्ति CO2 उत्सर्जन, जो कि वर्ष 2015 में 1.8 टन के स्तर पर था, संयुक्त राज्य अमेरिका के नौवें हिस्से के बराबर और वैश्विक औसत (4.8 टन प्रति व्यक्ति) के लगभग एक-तिहाई है।
    • हालाँकि समग्र तौर पर भारत अब चीन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद CO2 का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है।
    • सर्वाधिक उत्सर्जन करने वाले क्षेत्र:
      • ऊर्जा> उद्योग> वानिकी> परिवहन> कृषि> भवन

स्रोत: डाउन टू अर्थ


शासन व्यवस्था

बाल यौन शोषण

     Star marking (1-5) indicates the importance of topic for CSE
  • 22 Oct 2021
  •  
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बाल यौन शोषण : भारतीय परिदृश्य  

मेन्स के लिये:

बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार : कारण एवं विश्लेषण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वी प्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस द्वारा जारी रिपोर्ट ‘ग्लोबल थ्रेट असेसमेंट 2021’ से पता चलता है कि कोविड -19 ने बाल यौन शोषण और ऑनलाइन दुर्व्यवहार में महत्वपूर्ण वृद्धि में योगदान दिया था।

  • रिपोर्ट बाल यौन शोषण और ऑनलाइन दुर्व्यवहार के पैमाने और दायरे को रेखांकित करती है साथ ही इस मुद्दे पर वैश्विक प्रतिक्रिया का एक सिंहावलोकन भी करती है।
  • वी प्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस (WeProtect Global Alliance) 200 से अधिक सरकारों, निजी क्षेत्र की कंपनियों और नागरिक समाज संगठनों का एक वैश्विक मूवमेंट है, जो बाल यौन शोषण और ऑनलाइन दुर्व्यवहार के खिलाफ वैश्विक प्रतिक्रिया को बदलने के लिये एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

ऑनलाइन यौन शोषण से प्रभावित लोगों का प्रतिशत

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ: 
    • विगत दो वर्षों में बाल यौन शोषण और ऑनलाइन दुर्व्यवहार की रिपोर्टिंग अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है।
      • कोविड-19 के चलते विश्व भर में ऐसी स्थितियाँ बनीं जिन्होंने बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार को और अधिक बढ़ाने का कार्य किया।
    • इंटरनेट वॉच फाउंडेशन के अनुसार, बच्चों द्वारा 'स्व-निर्मित' यौन सामग्री में वृद्धि एक और चिंताजनक प्रवृत्ति है।
    • ट्रांसजेंडर/गैर-बाइनरी, LGBQ+ और/या विकलांगों को बाल्यावस्था के दौरान ऑनलाइन यौन दुर्व्यहार का अनुभव होने की अधिक संभावना थी।
    • भारतीय परिदृश्य:
      • महामारी के दौरान, नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (NCMEC) ने अपनी वैश्विक साइबर टिपलाइन में संदिग्ध बाल यौन शोषण की रिपोर्ट में 106 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत दिया। 
      • इसके अलावा भारत में कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान, बाल यौन शोषण सामग्री की सर्च में 95% की वृद्धि हुई थी।
  • बाल यौन शोषण से संबंधित समस्याएँ:
    • बहुस्तरीय समस्या: बाल यौन शोषण एक बहुस्तरीय समस्या है जो बच्चों की शारीरिक सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, कल्याण और व्यवहार संबंधी पहलुओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
    • डिजिटल प्रौद्योगिकियों के कारण प्रवर्द्धन: मोबाइल और डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने बाल शोषण तथा दुर्व्यवहार को और अधिक बढ़ा दिया है। साइबर बुलिंग, उत्पीड़न और चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे बाल शोषण के नए रूप भी सामने आए हैं।
    • अप्रभावी विधान: हालाँकि भारत सरकार ने यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पॉक्सो अधिनियम) अधिनियमित किया है, लेकिन यह बच्चे को यौन शोषण से संरक्षित करने में विफल रही है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
      • दोषसिद्धि की निम्न दर: POCSO अधिनियम के तहत दोषसिद्धि की दर केवल 32% है जिसमे विगत 5 वर्षों के दौरान औसतन लंबित मामलों का प्रतिशत 90% है।
      • न्यायिक विलंब: कठुआ बलात्कार मामले में मुख्य आरोपी को दोषी ठहराए जाने में 16 महीने लग गए जबकि पॉक्सो अधिनियम में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पूरी सुनवाई और दोषसिद्धि की प्रक्रिया एक वर्ष में पूरी की जानी चाहिये।
      • बच्चे के प्रति मित्रता का अभाव: बच्चे की आयु-निर्धारण से संबंधित चुनौतियाँ। विशेष रूप से ऐसे कानून जो वास्तविक उम्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं न कि मानसिक उम्र पर।

आगे की राह

  • व्यापक ढाँचा: रिपोर्ट बच्चों के लिये सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण बनाने तथा बच्चों को सुरक्षित रखने की भूमिका हेतु एक साथ काम करने के अलावा, दुर्व्यवहार के खिलाफ रोकथाम गतिविधियों को प्राथमिकता देने का आह्वान करती है।
  • बहु हितधारक दृष्टिकोण: कानूनी ढाँचे, नीतियों, राष्ट्रीय रणनीतियों और मानकों के बेहतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये माता-पिता, स्कूलों, समुदायों, NGO भागीदारों तथा स्थानीय सरकारों के साथ-साथ पुलिस व वकीलों को शामिल करने हेतु एक व्यापक आउटरीच प्रणाली विकसित किये जाने की अभी आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

Current Affairs Gen.

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